मातृ छवि!
अध्यापक – अध्यापिका मुझे बहुत मिले हैं ।
हे माता श्री गुरुवर आप जैसी कोई नहीं ।।
पढ़े लिखे महाशय डिग्रीधारी आजकल बनते हैं ।
कल्याणकारी सरस्वती आप जैसी कोई नहीं ।।
भविष्यरुपी रेलवे के लिए टी.सी बहुत मिले हैं ।
संयमी कुशाग्रबुद्धि चालक आप जैसी कोई नहीं ।।
विद्यालय बहुत दिखालाए गए हैं हमें ।
लिटिल फ्लावर हाउस जैसा कोई नहीं ।।
जहाँ मैं अपने पग धरूँ , तहाँ मोरे सिर धरौ अपने हाथ ।
“क” कहि आवत नहीं, तौहरी कृपा का मोल नहिं ।।
भविष्य भय जलावत मोहि, हुकुम तेही बचावत मोहि।
अध्यापक – अध्यापिका मुझे बहुत मिले हैं ।
हे माता श्री गुरुवर आप जैसी कोई नहीं ।।
पढ़े लिखे महाशय डिग्रीधारी आजकल बनते हैं ।
कल्याणकारी सरस्वती आप जैसी कोई नहीं ।।
भविष्यरुपी रेलवे के लिए टी.सी बहुत मिले हैं ।
संयमी कुशाग्रबुद्धि चालक आप जैसी कोई नहीं ।।
विद्यालय बहुत दिखालाए गए हैं हमें ।
लिटिल फ्लावर हाउस जैसा कोई नहीं ।।