
अहंकार
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “अहंकार”, सहज सरल मधुर वाणी का,रखता है जो चाव।कभी ना उपजे उसके हृदय,अहंकार का भाव।।
An Online Journal
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निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “अहंकार”, सहज सरल मधुर वाणी का,रखता है जो चाव।कभी ना उपजे उसके हृदय,अहंकार का भाव।।
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “हर बेटी की पुकार”, इस हद तक चला जाएगा इंसान। भगवान ने भी नहीं सोचा था। इतना बुरी तरह से गिर जाएगा इंसान,
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “माँ”, मैंने वक्त को गुजरते देखा है, बहुतों को बदलते देखा है। बहुतों की जिंदगी में, मां की कमी को खलते देखा है।
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “दुनिया का अंत नजदीक”, यह मौत का काला बादल आ रहा है।हर जगह बस अंधेरा ही छा रहा है।लगता है दुनिया का अंत नजदीक आ रहा है।।