अहंकार

हिन्दी कविता अहंकार

अहंकार

स्नेह का उद्गम करो है, प्रेम की भाषा शब्द रहित।

अहंकार में चला गया, सुना है रावण वंश सहित।।

जीवन रुपी बगिया को,
कुछ इस तरह से सींच।
अंकुरित होने पाए ना,
कभी अहंता का बीज।।
कभी अहंता का बीज,
ना अंकुरित  होने पाए।
मानवता और संस्कार,
है और भी बहुत उपाए।।
सहज सरल मधुर वाणी का,
रखता है जो चाव।
कभी ना उपजे उसके हृदय,
अहंकार का भाव।।
स्नेह का उद्गम करो है,
प्रेम की भाषा शब्द रहित।
अहंकार में चला गया,
सुना है रावण वंश सहित।।
छोड़ अहंता द्वेष भाव को,
हृदय से प्रेम की बातें कर लो।
यह जीवन है अनमोल,
"निर्दोष" प्रेम सुधा से भर लो।
हिन्दी कवि

✍निर्दोषकुमार “विन”

ये भी पढ़ें

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
trackback

[…] अहंकार क्या लिखूँ ? कुछ याद नहीं Doctor’s Day Quotes […]

1
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x