वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष वालों के लिए विशेष टिप्स, मानो तो ठीक नही तो स्वतन्त्र तो आप पहले से ही है।
पहला सुझाव
प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं। जो भी सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हैं उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं। इसलिए 2 लीटर न्यूनतम प्रति दिन पानी पियें।
दूसरा सुझाव
शरीर से अधिक से अधिक काम ले। शरीर को हिलना चाहिए। भले ही केवल पैदल चलकर, या तैराकी या किसी भी प्रकार के खेल से।
तीसरा सुझाव
खाना कम करो, अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें क्योंकि यह अच्छा नहीं होता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।
चौथा सुझाव
जितना हो सके वाहनका प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो। आप कहीं भी जाते हैं , किसी से मिलने या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें। लिफ्ट, एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।
पांचवां सुझाव
क्रोध छोड़ो, चिंता छोड़ो, चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो। विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें। वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं। सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें।
छठा सुझाव
सबसे पहले पैसे का मोह छोड़ दे। अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें! पैसा जीने के लिए बनाया गया था। जीवन पैसे के लिए नहीं।
सातवां सुझाव
अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते। उन सब चीजों को अनदेखा करें और भूल जाएं।
आठवां सुझाव
पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव; ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं। विनम्रता वह है जो लोगों को प्यार से आपके करीब लाती है।
नौवां सुझाव
अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है। यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ।
दसवां सुझाव
अपने से छोटों से प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें। कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें। अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें
मत परेशान हो, क्योंकि आमतौर पर…
अब इस बात की चिंता करना छोड़ दो की आप कितने पढे लिखे हो। चालीस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं। (क्योंकि अब कहीं इंटरव्यू नहीं देना, डिग्री नहीं दिखानी).
पचास साल की अवस्था में “रूप” और “कुरूप” एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते)।
साठ साल की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं। (चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता है)।
सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (बीमारियाँ और खालीपन आपको एक जगह बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, और आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं)।
अस्सी साल की अवस्था में आपके पास धन का "कम होना" या "ज्यादा होना" एक जैसे ही होते हैं। (अगर आप खर्च करना भी चाहें, तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है)।
नब्बे साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है)।
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