Month December 2022

संस्कृति – देश की पहचान

रौशन कुमार 'प्रिय' द्वारा रचित कविता "संस्कृति - देश की पहचान", तुम लड़ते हो भाई- भाई में उसने दुश्मन को सम्मान दिया।
कविता और शायरी

हंसी के तराने बहुत हैं

रौशन कुमार 'प्रिय' द्वारा रचित कविता "हंसी के तराने", यूँ न खड़ी किया करो शक की दीवारेंगलतफहमियां दूर करने के बहाने बहुत हैं।
कविता और शायरी

“तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप”

रौशन कुमार 'प्रिय' द्वारा रचित कविता "तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप", ख्वाहिश   हो   हर   तेरी    पूरी। मगर  समझना  तू  भी मज़बूरी
कविता और शायरी

नजरों के नश्तर से दिल घायल होते हैं

रौशन कुमार 'प्रिय' द्वारा रचित कविता "नजरों के नश्तर से दिल घायल होते हैं", नजरों के नश्तर से दिल घायल होते हैं,वे पागल होते हैं, जो याद में रोते हैं।
कविता और शायरी

कर्म हैं सबके

रौशन कुमार 'प्रिय' द्वारा रचित कविता "कर्म हैं सबके ", कौन कहता है,ये उल्फतों की दुनिया बड़ी दर्द भरी है,सुन के कांटो में गुलाब खिलखिलाने लगे।