हंसी के तराने बहुत हैं
सुना है मरीज-ए-इश्क के फसाने बहुत हैं
शमा पे मरने वाले परवाने बहुत हैं।
यूँ न खड़ी किया करो शक की दीवारें
गलतफहमियां दूर करने के बहाने बहुत हैं।
सोंचा इजहार कर ही लूँ अपनी मोहब्बत का आपसे
पता चला शहर में आशिक तेरे पुराने बहुत हैं।
कोई गम नहीं,अफसोस नहीं तूझे भूलने का
मेरी जिन्दगी में हँसी के तराने बहुत हैं।
माँ-बाप,भाई सब साथ में ही तो हैं
फिर भी खुदा से तोहमत लगाने बहुत हैं।
इतनी जल्दी जुदा न करो भाई को बहन से
अभी आँगन के फूलों को मुस्कराने बहुत हैं।
[…] हंसी के तराने बहुत हैं नजरों के नश्तर से दिल घायल होते हैं नारी की व्यथा मुख्यमंत्री बालक / बालिका प्रोत्साहन योजना 2023, बिहार इंफाल का महिला बाजार विस्मृत नायक खुदीराम बॉस […]
[…] हंसी के तराने बहुत हैं मसला कुछ भी नहीं हमारे दरमियान […]