क्यों होता है ?लड़कियों का “शोषण”
प्रेम को बेशक इस दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास कहने के बावजूद प्रेम शब्द का सर्वाधिक उपयोग शारीरिक संबंध बनाने के लिये किया जाता है। प्रेम के नाम पर लड़कियों को, खास कर कम उम्र की बच्चियों को बरगलाया जाता है।
कैसी लड़कियों का शोषण होता है।
खासकर जिन लड़कियों को घर में सहज माहौल नहीं मिलता, उनका घर की देहरी, छत पर खड़े होना मना होता है।
जिन घरों में पिता बेटियों के सर पर हाथ नहीं फेरते। जहां किसी लड़के से हँस कर बात कर लेने भर से बाप भाई थप्पड़ मार देते हैं या कई घरों में पिता बेटी पर हाथ नहीं उठाते, मां से पिटवाते हैं।
ऐसी लड़कियों को जब कभी परेशान देखकर उनकी दोगुनी उम्र का शिक्षक सर से पीठ पर ब्रा टैटोटले हुए हाथ फेरते हुए कहता है तुम उदास अच्छी नहीं लगती, खुश रहा करो तो उसे लगता है यही फिक्र प्रेम है।
जिन घरों में भाई कभी बहन को गले नहीं लगाते, वो लड़कियां जब सुकून के लिये कुछ देर प्रेमी को गले लगाती हैं। जो गले लगाने के बहाने उनकी छातियाँ दबा देते हैं, लड़की को लगता है यही छिछोरापन प्रेम है।
इन लड़कियों के पीछे जब कोई सिरफिरा लड़का आशिक़ बनकर घूमता है, उनके लिये हाथ काट लेता है तो उसे लगता है यही पागलपन प्रेम है।
घर में विपरीत लिंग के लोगों से सहज शारीरिक स्पर्श मात्र तक से जितनी दूरी बनाकर लड़कियों को बड़ा किया जाता है। उतनी ही जल्दी वो प्रेमी के स्पर्श से पिघलती हुई खुद को उसके सामने समर्पित कर देती है। क्योंकि वो शुरू में वासना और प्रेम से भरे स्पर्श में अंतर ही नहीं कर पाती।
लेकिन यह एक बहुत बड़ा फेलियर भी है हमारे पारिवारिक ढांचे का, जहां बेटियाँ न जाने कितनी बार घर में ही भाई चाचा दादा अंकल से यौन शोषण की शिकार होती हैं। लेकिन आपने अपनी बेटियों को इतना सहज माहौल भी नही दिया होता कि वो आपसे अपना दर्द बाँट सके।
शोषण के ओर भी कई कारण हो सकते है लेकिन अपनी लड़कियों को एक सहज माहौल न दे पाना भी शोषण का एक महत्वपूर्ण कारण है। अपनी बेटियों को एक ऐसा माहौल दें कि वो छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात आप के साथ सहज हो कर, कर सके।
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