कर्म हैं सबके
हुक्म हुई थी हमेशा मुस्कराते रहने की, पर,तेरी आँख है कि समंदर बहाने लगे।
सच है कि तुमसे मिलने में जमाने लगे पर हम सदा तेरा शुभ चाहने वाले लगे।
हुक्म हुई थी हमेशा मुस्कराते रहने की, पर,तेरी आँख है कि समंदर बहाने लगे।
कौन कहता है,ये उल्फतों की दुनिया बड़ी दर्द भरी है, सुन के कांटो में गुलाब खिलखिलाने लगे।
जहाँ तलक गई निगाह मेरी,सबको देखा जो प्यार से, रब कसम,सब- के -सब मुझे प्यार करने वाले लगे।
एक गलती पूरी बरसात भिंगाती रही मुझे, पड़ोसी की छत हमें खुद के आसियाने लगे।
मोहताज कोई नहीं होता यहाँ एक रोटी को साहेब, करम है सबका ,किसी के हाथ पत्थर, किसी हाथ खजाने लगे।।।
रौशन कुमार ‘प्रिय’
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[…] कर्म हैं सबके हौसला बेमिसाल रखती हूँ नारी तुम शक्ति हो […]