यार मैं गलती करता हूँ
मासूम दिखा सहयोग किया। उसी ने दिल पर बार किया।।
फिर भी,क्यों ना चेहरे पढ़ता हूँ।यार मैं गलती करता हूँ
हर कदम पर नये लोग हैं। हर कदम पर नये मोड हैं।। फिर भी ना संभल के चलता हूँ। यार मै.................. करता हूँ।।
मासूम दिखा सहयोग किया। उसी ने दिल पर बार किया।। फिर भी,क्यों ना चेहरे पढ़ता हूँ। यार मै.................. करता हूँ।।
कब दिल दे बैठा पता नहीं। पर इसमें मेरी खता नहीं।। फिर भी,ना इज़हार करता हूँ। यार मै............... करता हूँ।।
वो रूखा रूखा दिखता है। जैसे ना चाहत से रिश्ता है। फिर भी,प्यार उसी से करता हूँ। यार मैं गलती करता हूँ।।
रचीयता – निर्दोषकुमार “विन”
![हिन्दी कवि](https://thrivingboost.com/wp-content/uploads/2022/07/48a7487b9d489ad837d4ead80fc407d527bbd3cc.00000582-removebg-preview-150x150.png)