प्रतीक्षा सी रहती है।
इक अनकहा सा इंतजार होता है, हालातों में जहाँ। सब कुछ मुश्किल, अनिश्चित और दुश्वार होता है।।
इक अनकहा सा इंतजार होता है, हालातों में जहाँ। सब कुछ मुश्किल, अनिश्चित और दुश्वार होता है।। जीवन जब अनमना सा, केवल जीने का व्यापार होता है। कल्पनाओं में मन की, कहीं कोई चमत्कार होता है।
कभी सोचते हैं हम कहीं से आकर कोई, हमदम । कर देगा सब कुछ बिल्कुल ठीक और उत्तम। प्रार्थनाओं और दुआओं में, यही इज़हार होता है। मनचाही खुशियाँ पाने को, दिल सबका बेकरार होता है। हर मन की परतों में कहीं दबा, यही इंतज़ार होता है।।
कि दुआएं कब असर लाती हैं, और मन्नतों का निसार होता है। सुख में-दुख में हर कहीं कुछ प्रतीक्षा सी रहती है। इक अनकहा सा इंतजार होता है।।।
✍प्रिया गुप्ता
दार्जीलिंग (पश्चिम बंगाल)
![हिन्दी कवियित्री](https://thrivingboost.com/wp-content/uploads/2022/07/प्रिया-गुप्ता-222.jpg)
✍प्रिया गुप्ता “पिहू”
दार्जीलिंग, पश्चिम बंगाल