
अरे बात को समझिये
“मीनाक्षी कौर” द्वारा रचित कविता “अरे बात को समझिये”,जिसकी बोलती रहे बंद ,जी हजूरी करे, ऐसी बिना सींघ वाली गाय होनी चाहिए।
An Online Journal
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“मीनाक्षी कौर” द्वारा रचित कविता “अरे बात को समझिये”,जिसकी बोलती रहे बंद ,जी हजूरी करे, ऐसी बिना सींघ वाली गाय होनी चाहिए।
“प्रिया गुप्ता” द्वारा रचित कविता “फूल की सीख”,रह कर कांटों के मध्य भी,ये नहीं कभी शोक मनाते हैं।महकते इसलिए सभी को भाते हैं।
“प्रिया गुप्ता” द्वारा रचित कविता “प्रतीक्षा”,इक अनकहा सा इंतजार होता है, हालातों में जहाँ। सब कुछ मुश्किल, अनिश्चित और दुश्वार होता है।।
“प्रिया गुप्ता” द्वारा रचित कविता “नारी तुम शक्ति हो”,तुम ग्रंथ हो तुम ही कथा हो, नारी तुम ही अपनी व्यथा हो।।
“प्रिया गुप्ता” द्वारा रचित कविता “आईना”,आईना तो बस नज़र का धोखा हैं। नज़र वही आता हैं जो दिल में होता हैं।।
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “यार मैं गलती करता हूँ “,मासूम दिखा सहयोग किया। उसी ने दिल पर बार किया।।फिर भी,क्यों ना चेहरे पढ़ता हूँ।
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “प्रेम”,जी भर ना दीदार हुआ हैबेशक उसका मुद्दत से।लेकिन उसको चाहा है,मैने बड़ी ही शिद्दत से।।
“अचल ठाकुर” द्वारा रचित कविता “हिन्दू”, वे सोमनाथ प्रहारों को जिन्हे, आज भी भारत भूला ना । उन दिल्ली नरसंहारों पर, जब खून तुम्हारा खौला ना ।
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “आयुर्वेद का दीप जलाएँ”,आभूषण है वृक्ष धरा के, आओ धरती का श्रंगार करें। हर घर में एक पौधा रोपें, और प्रकृति से प्यार करें।।
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “कुछ याद नहीं”, जीवन परीक्षा शुरू हो गयी, मै लिखने में अभी दक्ष नहीं। काँपी राइट जो कर सकूँ, ऐसा मिला है मुझको कक्ष नहीं