भारत माता के सपूत
रोहताश वर्मा ‘मुसाफिर’ द्वारा रचित कविता “भारत माता के सपूत”, समर्पित है जिन्होंने भारत माता की आजादी के लिए स्वयं को न्यौछावर किया था। Thriving Boost
An Online Journal
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रोहताश वर्मा ‘मुसाफिर’ द्वारा रचित कविता “भारत माता के सपूत”, समर्पित है जिन्होंने भारत माता की आजादी के लिए स्वयं को न्यौछावर किया था। Thriving Boost
रोहताश वर्मा ‘मुसाफिर’ द्वारा रचित कविता “गाड़ियों की बयार “, आज की राजनीति पर बहुत ही खूबसूरत व्यंग्य है। Thriving Boost
“अजय विषकर्मा” द्वारा रचित ‘कविता’ “मातृ छवि” भविष्यरुपी रेलवे के लिए टी.सी बहुत मिले हैं । संयमी कुशाग्रबुद्धि चालक आप जैसी कोई नहीं ।।
“सुनील कुमार” द्वारा रचित कविता ‘खंडित कभी न हो हिंद की अखंडता। दिल में था बस एक ही अरमान। मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम’।।
“सुनील कुमार” द्वारा रचित कविता “देवतुल्य पिता हमारे”, सपनों के खातिर हमारेसुख-चैन अपना हैं वारे देवतुल्य पिता हमारे।।
“सुनील कुमार” द्वारा रचित कविता “पूस की रात”, ठिठुरन के चलते लोग घरों में हैं दुबके। चौराहों पर अब अलाव कम हैं दिखते।।
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी” द्वारा रचित कविता “सच्चाई”, सत्य के मार्ग में, बाधाएं हजार आती है।रुकावट एक बार नहीं, बार-बार आती है।।
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी” द्वारा रचित कविता “रौशनी”, ढूंढना चाहा मैंने भी अपनों के बीच अपने आप को,उम्मीद की रोशनी आई, तो देखा कि यहां अंधेरा है।
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी” द्वारा रचित कविता “मोहब्बत”, बिखर कर खुद में, खुद को ही ढूंढ रहे हैं।ख्वाबों में उस मंजर को हम भी ढूंढ रहे हैं।।
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी” द्वारा रचित कविता “नई उम्मीद”, सुबह उठ फिर हम नई सूचियां बनाते हैं। शाम होते-होते सूची धूमिल हो जाती है।।