
*** वाकिफ ***
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “वाकिफ”, अब मैं उससे पूरी तरह वाकिफ हो चुका हूं,कुछ कहा नहीं लेकिन खुदा हाफिज हो चुका हूं।
An Online Journal
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जतीन चारण द्वारा रचित कविता “वाकिफ”, अब मैं उससे पूरी तरह वाकिफ हो चुका हूं,कुछ कहा नहीं लेकिन खुदा हाफिज हो चुका हूं।
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “हर बेटी की पुकार”, इस हद तक चला जाएगा इंसान। भगवान ने भी नहीं सोचा था। इतना बुरी तरह से गिर जाएगा इंसान,
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “माँ”, मैंने वक्त को गुजरते देखा है, बहुतों को बदलते देखा है। बहुतों की जिंदगी में, मां की कमी को खलते देखा है।
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “दुनिया का अंत नजदीक”, यह मौत का काला बादल आ रहा है।हर जगह बस अंधेरा ही छा रहा है।लगता है दुनिया का अंत नजदीक आ रहा है।।
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “कटु सत्य”, हमने महसूस किया अपने लिए, अपनों से लड़ना पड़ता है। और आदमी अच्छा था, यह सुनने के लिए मरना पड़ता है।