प्रेम और सेक्स
जब तक पुरुष के लिंग में तनाव है, तब तक वो प्रेम नही दे सकता । उस समय अगर किसी स्त्री के पास पुरुष जाता भी है और ये कहता है कि मैं तेरे करीब इस कारण हूँ? की मैं प्यार करता हूँ! तो ये धोखा है, गलत है। सेक्स शरीर की जरूरत है, तो ये गलत नही है। पर सेक्स को प्यार कहने की भूल से बचें। ईमानदार होकर रहे। अगर सेक्स करना है तो सामने वाले को साफ शब्दों में कहे। साथी से पहले, खुद को स्पष्ट कर लें कि मैं प्यार में हूँ! या वासना में !
औरत और औरत का शरीर कोमल होते हैं
औरत फूल की तरह कोमल होती है। फूल को रगड़कर, नोचकर, उसके शरीर पर निशान बनाकर या बाहर भीतर घिसकर, प्यार नहीं किया जाता। स्त्री का शरीर और उसकी योनि की नसें, बेहद संवेदनशील होती है।
आज जो महिलाएं, डॉक्टर के पास जा रही है, उसका एक कारण ये भी है कि उनके शारीरिक सम्बन्धों में हिंसा है। वासना के वेग के चलते, न तो पुरुष को होश रहता और न स्त्री इतनी हिम्मत कर पाती की पुरुष को (न) कह सके। फिर बच्चादानी में हजारों बीमारी लग जाती है। महावारी में भयानक दर्द ,POCD और पता नहीं क्या-क्या, सहन करना पड़ता है।
ठहराव से संतुष्टि
पुरुष Active है स्वभाव से, और स्त्री Passive !
पुरुष को समझना चाहिए कि पल भर की वासना के लिए किसी स्त्री का शरीर खराब न करें। वैसे भी अगर सेक्स को भी धर्य और तरीके से किया जाए, और एक ठहराव हो भीतर तो उसके परिणाम दोनों व्यक्तियों के लिए सुखद होते है। जिससे सन्तुष्टि भी मिलती है। लेकिन जोश में आकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने वाले पुरुष, कभी भी सन्तुष्टि को प्राप्त नहीं कर सकते।
जो व्यक्ति विवाहित है, उन्होंने अनुभव किया होगा कि सालो तक सेक्स करने पर भी उनके भीतर सेक्स की इच्छा ज्यों की त्यों है। इसका कारण यही है कि उन्हें गहराई ही नही जानी कभी इस चीज की।
सेक्स करें बलात्कार नहीं
45 मिनट से पहले तो स्त्री का शरीर खुलता ही नही की वो तुम्हे अपनी बांहों में भरे, या तुम्हें अनुमति दे कि तुम उसके भीतर प्रवेश करो। इसलिए फोरप्ले का इतना महत्व है। ठीक उसी तरह आफ्टरप्ले भी अर्थ रखता है कि तुम्हारी वजह से मैं जीवन ऊर्जा का आनंद ले पाया।
केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले, बलात्कारी है। अपने ही साथी का बल पूर्वक हरण करना बलात्कार ही होता है ।
औरत का शरीर अनुमति दे तो आगे बढ़ें
आज जो 70 फीसदी महिला चर्मसुख से अनजान है, उसका कारण सेक्स की अज्ञानता है। इस बात को अहंकार पर चोट न समझे, बल्कि अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करें।
अपनी महिला मित्र से अनुमति ले, उसके प्रति श्रद्धा भाव रखे, और इस बात का ध्यान रखें कि उसे दर्द न दे। आनंद दे।
समझें और ध्यान लगाएं
भले तुम दस मिनट, आधे घण्टे का सेक्स कर लो, पर औरत अछूती ही रह जाती है और तुम भी अधूरे ही लौटकर आते हो। औरत का वदन बहुत धीरे-धीरे तैयार होता है, बहुत धीरे-धीरे वो द्वार खुलते है, तब तुम्हे अनुमति मिलती है।
ये सब समझने के लिए भीतर स्थिरता चाहिए। तो समझें और ध्यान दें। होश, ठहराव, स्थिरता, धीरज, प्रेम, श्रद्धा ये सारे शब्द केवल ध्यान देने से ही जीवन मे उतरेंगे।
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