दुनिया का अंत नजदीक
हर जगह अब मातम छा रहा है। लगता है दुनिया का अंत नजदीक आ रहा है।। बहुत जी लिया इंसान शान से, एक वायरस भी उसे मात दे जा रहा है।।
आधुनिक होकर वह अपने आपको भगवान समझ बैठा है। अब भगवान उसे अपनी औकात दिखा रहा है।। हे इंसान! प्रकृति का यूँ रूठना भी जरूरी था। और तेरा घमंड टूटना भी जरूरी था।।
अब कर ले जितनी भी कोशिश करनी है चला जा हर मंदिर,मस्जिद या गुरुद्वारे में। लेकिन इस प्रकृति को दुख देने की कीमत, चुकानी पड़ेगी इसी जमाने में।।
यह मौत का काला बादल आ रहा है। हर जगह बस अंधेरा ही छा रहा है। लगता है दुनिया का अंत नजदीक आ रहा है।।
रचीयता
✍जतीन चारण