मातृत्व एक महिला के जीवन में सबसे सुंदर अनुभवों में से एक है। मेरा मानना है कि यह यात्रा गर्भा धारण से ही शुरू हो जाती है। यह एक महिला की भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक स्थिति में विशालकाय परिवर्तन लाता है। उस समय औरत की जरूरतों का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है। हमें भावनात्मक और मानसिक रूप से उस औरत से कैसे जुड़ना है जो मां बनने वाली हैं। आज मैं अपनी अंतर्दृष्टि साझा करना चाहूंगी कि हमें उससे क्या और किस तरह की बात करनी चाहिए।
ऐसा तो बिल्कुल भी न करें।
1. होने वाले बच्चे के लिंग के बारे मे कोई संवाद न करें।
अगर आप भी माँ हैं तो आपने भी ये अनुभव किया होगा, की यह कितना दुखदायी होता है। जब लोग पूछते हैं कि “क्या डॉक्टर ने आपको कुछ बताया है, कि लड़का होगा या लड़की हैं?” भारत में, अजन्मे बच्चे के लिंग के बारे मे जानना अवैध है। फिर भी, लोग लिंग के बारे में अनुमान लगाते हैं और अलग अलग सलाहें देते है। लेकिन एक औरत जिसके गर्भ में बच्चा है उसका एक ही उद्देश्य होता है एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देना है। लिंग क्या होगा उसके दिमाग मैं आने वाली आखिरी चीज है। फिर जब लोग बार बार लिंग के बारे मे पूछते हैं या सलाहें देते हैं तो इससे माँ को तकलीफ होती है।
जब लोग बार बार लिंग के बारे मे पूछते हैं या सलाहें देते हैं तो इससे माँ को तकलीफ होती है।
2. हर चीज पर सलाह देना बंद करें।
आप स्वयं एक माँ या पिता हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है की आप किसी चीज के विशेषज्ञ हो। हर गर्भावस्था और हर बच्चा अलग होता है। इसलिए किसी भी चीज़ की सलाह देना तब तक बंद कर दें, जब तक आपको इसके लिए कहा नहीं जाता।
3. माँ की काया का मजाक या उपहास न करें
मातृत्व कोई काकवॉक नहीं है। गर्भाशय के अंदर मनुष्य को विकसित करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा लगती है। जन्म देने के लिए गर्भाशय अपने आकार से 100 गुना अधिक होता है। प्रसव पीड़ा चरम स्खलन की परीक्षा है। ब्रेस्ट फीडिंग करना भी आसान नहीं है। इन सब क्रियाओं मे माँ का शरीर थक कर चूर-चूर होता है। ये सभी महिलाओं के देह पर भारी पड़ते हैं। इसलिए, इस सब के बाद, जब आप उनके शरीर का मजाक बना कर उन्हे शर्मिंदा करते हो, तो यह उन्हे मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत तनाव में डाल देता है।
आपको क्या करना चाहिए।
1. उनका साथ दें
एक नई माँ की जरूरत होती है साथ की और देखभाल की। प्रकृति ने माँ को अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए पूरी तरह से संपन्न बनाया है, फिर वो चाहे गर्भावस्था हो चाहे या बच्चा पैदा होने के बाद का समय। वह अपने बच्चे की देखभाल कर सकती है। लेकिन आपके थोड़े से साथ की बजह से मातृत्व मे खुशी आ जाती है।
2. उससे पूछें कि वह कैसा महसूस कर रही है?
यह बताने के बजाय कि आपने अपनी गर्भावस्था या प्रसव के बाद कैसा महसूस किया था। उसे सुनने की कोशिश करें। ये उसके लिए थोड़े मुश्किल और अलग दिन हैं। हो सकता है कि क्या उसे आपसे कोई मदद चाहिए हो।
3. उसे बताओ वह एक महान माँ है
कई बार ऐसा समय भी आता हैं जब एक नई मां को आत्म-संदेह होता है, कि कहीं वो अपने बच्चे के पालन-पोषण कुछ कमी तो नहीं रख रही। उस समय उसके आत्मविश्वास को बढ़ाएं। उसे बताएं कि वह अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छी है।

वे कहते हैं, “नारी ईख की तरह है, जो हर हवा के झोंके की तरफ झुक जाती है, लेकिन टूटती नहीं है।”हालांकि वो हमेशा से ऐसी नहीं थी। लेकिन मातृत्व को वो बहुत अच्छे से निभाती आ रही है और निभाती रहेगी।
मातृत्व की जय!
[…] आईए मातृत्व को समझें। […]
[…] वीरता की गाथा आईए मातृत्व को समझें। मासिक धर्म (Periods) नजरों के नश्तर से […]
[…] वीरता की गाथा आईए मातृत्व को समझें। शर्म को कैसे छोड़ें? क्या आप जानते […]
[…] को Genius कैसे बनाएं? ईशा योग केंद्र आईए मातृत्व को समझें। नीरा आर्य गुलाब कौर, भूली-बिसरी […]
[…] Lion’s of Kargil विक्रम बत्रा Orgasm क्या है? आईए मातृत्व को समझें। Gym करने की सही […]