स्लीवलेस

आपबीती

एक उम्र के बाद आया है जीने का सलीका, देखिए खुद को बदल कर। क्या पता ये ही हो खुश रहने का

स्लीवलेस

एक उम्र के बाद आया है जीने का सलीका, देखिए खुद को बदल कर। क्या पता ये ही हो खुश रहने का। तरीका”। 30 साल लगे मुझे आज इस तरह ड्रेसअप होने में, स्लीवलेस पहनने में। आज भी पहन कर बाहर निकलने में बड़ी हिम्मत जुटानी पड़ी। कनखियों से देखती रही, सब की भाव भंगिमा। दिल धाड धाड हो रहा था। पता नहीं सब क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे। बहुत मुश्किल होता है बीते समय को लौटाना । आत्मविश्वास और हिम्मत लौटने लगे हैं। एक लिबास ही तो है बस, और अगर सब घूरेंगे तो वह उनकी सोच, कि किसी औरत के गुण, शक्ल ,काबिलियत नहीं बगलें आकर्षित करती हैं। मैं खुश हूं बस।

दीपा गोमी

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