सच्चाई
सत्य के मार्ग में, बाधाएं हजार आती है।
रुकावट एक बार नहीं, बार-बार आती है।।
कितनी भी करो कोशिश, पर सत्य छिप नहीं पाता है।
दर्पण के सामने छिपता नहीं सत्य सामने आ जाता है।।
कांच का टुकड़ा हूं बेशक मैं, पर दर्पण कहलाता हूं।
होंगे कई कांच के टुकड़े, मैं तो सच्चाई दिखलाता हूं।।
अगर चाहते हो दुनिया में, शहंशाह बनकर जीना।
करो वो काम जो लोगों को, याद बार-बार आता है।।
सत्य बोलने वाले रहते पीछे, झूठ वाले हैं होशियार।
ऐ मेरे यार अब इस समय, ऐसे चल रहा है व्यापार।।
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