नजरों के नश्तर से दिल घायल होते हैं

कविता और शायरी

खोए हुए चीजों पर ,अवसाद ही क्या करना,
इक गम के लिए रो के , खुशियाँ बर्बाद भी क्या करना।

नजरों के नश्तर से दिल घायल होते हैं

नजरों के नश्तर से दिल घायल होते हैं,

वे पागल होते हैं, जो याद में रोते हैं।

परवाह मेरी उनको, थोड़ी जो रही होती,

सोचा था ख्वाबों में, वो बात  सही होती।

जाऊंगा महफिल से , उन्हें याद तो आएगी,

मेरे संग बीते कुछ पल , उन्हे फिर गुदगुदाएगी।

खोए हुए चीजों पर ,अवसाद ही क्या करना,

इक गम के लिए रो के , खुशियाँ बर्बाद भी क्या करना।

सब होता अच्छा है ,सब होगा भी अच्छा,

ये खुदा की मर्जी है , खुदगर्जी से अच्छा।

रौशन कुमार “प्रिय”
हिन्दी भाषी कवि

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