देवतुल्य पिता हमारे

सुनील कुमार की कविता

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धरती पर ईश्वर का रूप धारे
सुख-दुख में बने सहारे।

देवतुल्य पिता हमारे

जीवन का आधार हमारे

खुशियों के खातिर हमारे।

सब कुछ अपना हैं वारे

देवतुल्य पिता हमारे।।

धरती पर ईश्वर का रूप धारे

सुख-दुख में बने सहारे।

सपनों के खातिर हमारे

सुख-चैन अपना हैं वारे

देवतुल्य पिता हमारे।।

कष्ट कभी न इनको देना

कटु वचन न इनको कहना।

ये ही तो पालनहार हमारे

देवतुल्य पिता हमारे।।

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कवि
हिन्दी के प्रसिद्ध कवि

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