“तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप”

कविता और शायरी

तुझमें  बसी  है   खुशियां  मेरी।
तेरे    बिन      दुनिया    अधूरी।।

“तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप”

तू  रूठे   तो     मैं       मुर्झाऊँ।

तू    हंसे     तो   मैं    मुस्काऊँ।।

दुःख में जीऊँ या सुख में सोऊँ।

हर पल की तुझे व्यथा  सुनाऊँ।।

धागे    बन्धन   के    रहे  अटूट ,

तू   बहन     नहीं! देवी  स्वरूप

तुझमें  बसी  है   खुशियां  मेरी।

तेरे    बिन      दुनिया    अधूरी।।

ख्वाहिश   हो   हर   तेरी    पूरी।

मगर  समझना  तू  भी मज़बूरी।।

तू, भाई  के   सिर   का   मुकुट

तू  बहन नहीं!   देवी     स्वरूप

झगड़ा करना   वो  बचपन  का।

हंसी – ठिठोली वो हठपन    का।।

और, छिन गई खुशियां आंगन से।

तू विदा हुई जब इस प्रांगण  से।।

सदा सुहागन रहना तुम,

और ये जोड़ी रहे अटूट

तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप

रौशन कुमार ” प्रिय “
हिन्दी भाषी कवि

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