झगड़ों से कैसे निपटें और मूड कैसे ठीक करें।

कई बार ऐसा होता है की घर मे कोई कमी नहीं होती। लेकिन हर दूसरे या तीसरे दिन किसी न किसी की बहस या लड़ाई हो जाती है। हम न चाहते हुए भी अपनी प्रतिक्रिया दे देते है। फिर पूरा दिन मूड खराब रहता है ।

कई बार ऐसा होता है की घर मे कोई कमी नहीं होती। लेकिन हर दूसरे या तीसरे दिन किसी न किसी की बहस या लड़ाई हो जाती है। हम न चाहते हुए भी अपनी प्रतिक्रिया दे देते है। फिर पूरा दिन मूड खराब रहता है और कभी कभी तो 4,5 दिन तक भी। इस बजह से कहीं की ध्यान नहीं लगता है ऑफिस मे भी काम अच्छे से नहीं कर पाते है। चिंता बड़ जाती है। समझ नहीं आता की कठिन लोगों से कैसे निपटें। मूड को ठीक कैसे करें।

सारी जिम्मेदारी खुद उठाओ।

सब से पहले सारी की सारी जिम्मेदारी अपने सिर पे ले लो।  हो सकता है, आपको ये तरीका अजीब लगे। फिर भी मान लीजिए की मेरे अंदर ही कुछ कमी है, इसलिए मे प्रतिक्रिया दे देता हूँ या मुझे बुरा लगता है।

हम खुद को दोष दे कर खुद को छोटा नहीं कर रहे बस ये देख रहे हैं कि हमारे अंदर काम करने की कहाँ गुंजाइश है।

ये बात लोगों को महसूस करने मे बहुत समय निकल जाता है। कि आपके आस पास कुछ तो काम नहीं कर रहा है । इसका मतलब है, कोई तो कारण है।  शायद हमें अभी नहीं पता या शायद  पूरी तरह से अभी हमारे कंट्रोल मे न हो । पर कुछ तो है जो हम अपनी तरफ से सही नहीं कर रहे।

जिम्मेदारी लेने के बिपरित हम गलतफहमियाँ पैदा कर लेते है की हर बार हमारे साथ ही एस क्यों होता है। या हम किसी दूसरे को दोषी ठहराने लग पड़ते है।

अगर आपको लगता है कि गलती किसी और कि है तो आप फिर कुछ कर भी नहीं सकते। क्योंकि नियंत्रण तो आपने पहले ही दे दिया।

अगर आपको अपने मूड का कंट्रोल अपने पास रखना है। तो आपको जिम्मेदारी भी केवल अपने पास रखनी होगी।

बात को अपने ऊपर मत लो।

कोशिश करो  बातों को अपने ऊपर ना लेने की। जब सामने वाले हमारी मर्जी से नहीं चलते या अच्छा व्यवहार नहीं करते। तो हम frustrate होते है और हमें गुस्सा आने लगता है। आपको गुस्सा आ गया मतलब आप हार गए। गुस्सा दिमाग का वो level है जहां आपकी बुद्धि सुन हो जाती है। फिर आप जो भी करोगे ग़लत ही करोगे।

हमे अभ्यास और अनुभव के दम पर गुस्से को हराना है और शांत रहना है।  जब आप शांत रहते हो तब आप बहस नहीं करते हो। जिससे आपको गुस्सा नहीं आता और फिर आप कोई गलती भी नहीं करते हो। अगर सामने वाला समझदार है। तो गुस्सा शांत होने पर वो शर्मिंदा होता है और अगर वो समझदार नहीं है। तो बहस मे ना पड़ कर शांत रहना ही अच्छी तकनीक है।

हर कोई जो देखता है उसके प्रभाव मे रहता है।

सोचो अगर बचपन में अकेले कमरे में बंद करके आपकी पिटाई की गई होती। या हर बार की गलती पर चिल्ला चिल्ला कर डांटा जाता और आपको कभी आपकी बात रखने का मौका नहीं दिया जाता। तो आप भी बड़ा होने पर गुस्से मै ये ही करते। ये आपका normal reaction बन जाता।

जब आप इस बात को समझते हो की है घर में लोग उसी तरह का बर्ताव आप से कर रहे है। जैसा उन्होंने अपने अनुभव में होते हुए देखा है। आपको पता है हर कोई अपने सिर पर अपने भूतकाल (past) का बोझ लिए चल रहा है। तब आप दुर्व्यवहार को अपने पे नहीं लेते हो।  उन्हे मन ही मन माफ करके दूरी बना लेते हो, की हां भाई ये तुम्हारा स्वभाव है।

माफ कर दो ।

जब आप किसी को माफ करते हो। तब आपके मन मे ये सवाल खत्म है जाता है। की इसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया। तभी आपको शांति मिलती है।

इस ब्लॉग में हम आपको बताना चाहते है, कि अगर आपका मूड खराब हो भी जाता है। तो भी आप अपना मूड सरलता से और जलदी शांत कर लो।

जो मूड पूरा दिन खराब रहता है उसे आप आधे या एक घंटे में ठीक कर सकते हो।

आप किसी को बदल नहीं सकते।

किसी को सीखाने का और उसे बदलने का मत सोचो।

ये बात तो स्पष्ट है कि अगर आप बड़े और ताकतवर नहीं हो, तो आप किसी को समझा नहीं सकते। असल में आप कभी किसी ओर को बदल नहीं सकते। जिनको बदलना होगा, वो आपके व्यवहार को देख कर बदलेंगे। आप बस माफ कर के दूरी बना लो और कुछ बातें भी याद रखो कि जब ऐसा होता है तो विवाद बढ जाते है।

जब विवाद होने की स्थिति बने तब अपना ध्यान किसी दूसरी तरफ ले जाइए। अगर आप ध्यान, प्राणायाम या योगा इत्यादि करते है तो ये आपके लिए आसान हो जाएगा।

नहीं तो सामने वाले को शांत रह के ये कह दो की आप मुझे ये ये बातें कहना चाहते हो। हो सकता  है ये बिल्कुल सही बातें हो। लेकिन मुझे शांति से इस बारे में सोचने का समय दो, में शाम तक इसका जवाब देता हूं। इससे अगर बहुत ज्यादा बात नहीं बिगड़ी है तो सामने वाला आपकी बात सुन कर रुक जाएगा। और आप मौका मिलते ही वो जगह छोड़ दो।

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