क्या कोई पति-पत्नी का रिश्ता सेक्स के बिना टिक सकता है? हाँ। सेक्स हमेशा जरूरी नहीं होता। लेकिन यह एक स्वस्थ, संतुष्टिदायक रिश्ते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।
सेक्स और रिश्ता
पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने में सेक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए इसे आनंदमय बनाना भी उतना ही जरूरी है जितने कि एक बच्चे की चाह में सेक्स करना। अक्सर दिनभर की थकान के बाद लोग रात में अपने साथी के साथ सेक्स को एक काम की तरह निपटा कर सो जाते है। लेकिन सेक्स सिर्फ एक काम नहीं है, न ही ये सिर्फ शरीर की जरूरत है। तो सेक्स क्या है? ये ही जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
क्या आपको पता है? सेक्स का आंनद लेने के लिए एक औरत को पूरी तरह से मर्द पर निर्भर रहने को आवश्कता नहीं है। औरत मर्द की physical जरूरत को पूरा करने का समान भी नहीं हैं। औरत की अपनी भी कुछ जरुरते है, उसकी भी सेक्स को लेकर कुछ preferences हो सकती है। इस बारे में आंख चुराकर नहीं आंख से आंख मिला कर बात की जा सकती है। सेक्स एक मजेदार अनुभव हो इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है दो लोग एक दूसरे को कितना चाहते है।
एक मजबूत आत्म-छवि:
यौन गतिविधि एक शारीरिक क्रिया है जो उस आनंद पर जोर देती है जो आपका शरीर दे और प्राप्त कर सकता है। सचेत, नियमित सेक्स प्रत्येक साथी के लिए आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान और शरीर की सकारात्मकता बढ़ा सकता है, जिससे आप इन भावनाओं को अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों में ले जा सकते हैं।
अंतरंगता:
यौन गतिविधि एक प्रकार की शारीरिक अंतरंगता है, जो ऑक्सीटोसिन हार्मोन जारी करती है, जो भावनात्मक संबंध और अंतरंगता की भावना पैदा करती है। इसलिए, सेक्स भागीदारों के बीच संबंधों को गहरा कर सकता है और निकटता, भावनात्मक कल्याण और रिश्ते की संतुष्टि की भावनाओं को बढ़ावा दे सकता है।
ये एक feeling है किसी के पास होने कि किसी से गहरा जुड़े होने की। ये feeling तभी आती है जब कोई आपका ख्याल रखता है। जब दो लोगो में इस तरह की अंतरंगता होती है तो उनमें सेक्स की चाह बढ़ जाती है।
Independent Identity
इसका मतलब है कि आप अपने साथी को एक अलग Independent Identity की तरह देखते हो। आप ये मानते हैं कि आप और वो एक नहीं हैं। पति पत्नी ज्यादातर एक दूसरे के जैसा बनने के चक्र में खुद grow करना ही भूल जाते है। ये ही सबसे बड़ा कारण है दोनों के बीच में सेक्स कम होने का।
पहली चाह
जानी की कोई ऐसी चीज जिसे पाने की चाह हो। आपका साथी भी ये ही उम्मीद करता है कि आपको उसकी चाह हो, वो आपके attractive लगे। जब उसे इस बात का विश्वास हो जाता है, तो वो अपने आप आपकी तरफ आकर्षित होने लगता है। मतलब की दो लोगों में बेहतर सेक्स के लिए आकर्षण बना रहना चाहिए।
अपनी sexuality को पहचाने।
साधारण शब्दों में कहें तो sexuality यानी कि हमारी sexual feeling, हमारी attraction और हमारा व्यवहार है। जब भी हम दूसरों को देखते हैं, तो वो हमें physically attractive लगते है, या emotionally।
ये ही हमारी सेक्सुअल पहचान है। अपनी इच्छा को, अपने अहसास को अपने साथी के साथ सांझा करना चाहिए। ये तभी हो सकता है जब आपको अपने बारे में ये सब पता हो। सेक्स इंसानियत का एक भिन्न अंग है। अपनी इच्छाओं को नजरंदाज करना मतलब की अपने वजूद से इंकार करना।
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सेक्स जरूरी है
सेक्स एक Force है जो हमारे में ऊर्जा पैदा करती है। जिंदगी पैदा करती है। सेक्स से ही हम दुनिया में आए हैं और सेक्स से ही हम किसी को दुनिया में लाएंगे। सेक्स physical, mental और emotional health के लिए बहुत जरूरी है।
क्या मर्द और औरत की सेक्सुअलिटी में कुछ भिन्नता होती है?
एक औरत को मर्द की अपेक्षा उत्तेजित होने में ज्यादा समय लगता है। मर्द तो सेक्सी फोटो देख कर या अपने साथी का कोई छोटा सा अंग देख कर ही उत्तेजित हो जाते हैं। उसका मन तुरन्त ही सेक्स करने का हो जाता है। एक औरत तब तक Kissing, Touching की चाह रखती है जब तक उसे सेक्स की तलब न होने लगे। मर्द तो सुबह उठता ही Erection के साथ है। जबकि औरत रात में सेक्स भी आराम करने के बाद या नहाने के बाद करना पसंद करती है। इसलिए हमें अपने साथी की पसंद और नापसंद को समझना चाहिए।
पसंद का अलग होना
कभी कभी अलग पसंद और चाह की वजह से दो लोगों के बीच में समस्याएं भी आ सकती है। तो इन समस्याओं से बचने को एक ही तरीका है, कि हम अपनी चाह और पसंद को लेकर ईमानदार रहें। अपने साथी को खुल कर बताएं की आपको ज्यादा देर तक foreplay करना पसंद है या हो सकता है, आपको सेक्स के दौरान बातें करना अच्छा लगता हो। जो भी है अपने साथी के साथ साझा करें। साथ ही उनसे उनकी पसंद भी पूछो क्या पता उन्हें आप से अपनी पसंद कहने में झिजक हो रही हो।
सेक्स किसी रिश्ते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है लेकिन कम सेक्स करने का मतलब यह नहीं है कि आपका रिश्ता कम संतोषजनक है।
सेक्स के कई तरह के फायदे हो सकते हैं। यह स्वस्थ रिश्तों का समर्थन करने में मदद कर सकता है और समग्र कल्याण में सुधार कर सकता है। यह तनाव से राहत, बेहतर नींद, बढ़ी हुई प्रतिरक्षा और बेहतर हृदय स्वास्थ्य सहित व्यक्तिगत लाभों से भी जुड़ा हुआ है।