कुछ चुनिंदा बातें जो बहुत ही कम लोगों में पाई जाती है। कुछ ऐसी बातें जिन से आप बहुत ज्यादा आकर्षक लगते है। मतलब की कुछ ऐसा जो लोगो को आप से जोड़े रखे, और आप अंदर ही अंदर आत्मविश्वास से भरे रहो।
आत्मनिर्भर होना
असल में इस दुनिया के लोग दूसरों पर बहुत ही ज्यादा निर्भर है। आपने देखा होगा वो किसी सम्बन्ध में भी आएंगे तो उनका रिश्ता किसी एक तरफ से ही ज्यादा चल रहा होता है।
कई बार तो एग्जाम देने या कोई काम करने के लिए भी दूसरों के भरोसे पे ही जाते हैं। इससे ज्यादातर आखिर में हमारे हाथ आती है सिर्फ और सिर्फ निराशा। इसके उल्टा आप किसी ऐसे शख्स को देखो जो आत्म निर्भर हो जो अपने सब काम खुद करता हो तो उसे देख कर और उस से मिलकर हम काफी ज्यादा प्रभावित होते है। फिर हम वैसा ही कॉपी करने की सोचते है।
इसका मतलब आत्मनिर्भर होना बहुत है power full है। नहीं तो आप दूसरो को कॉपी करते रहोगे या उनके पीछे भागते रहोगे तो अपने सपनो के पीछे कब भागो के।
एक किस्सा
एक व्यक्ति था किस्मत का मारा। उसे मालूम था कि लाइफ में क्या करना है और क्या नहीं। परन्तु वो दूसरों पे ज्यादा निर्भर रहता था और दूसरों को ही ने follow करता था। जैसे ही उसे जिंदगी में कोई लड़की मिलती या दोस्त तो वो उनसे बहुत ही ज्यादा उम्मीदें लगा लेता कि यार अब तो बस और जिंदगी में क्या चाहिए। अब तो इन्हीं के साथ रहना है।
मगर इस से पहले भी उसे काफी लड़कियां छोड़ कर जा चुकी थी। वो उनके साथ घूमता फिरता और बातें share करता लेकिन उनके ऑफिस या और कहीं कोई ऐसा व्यक्ति उनकी जिंदगी में आ जाता जिससे इस व्यक्ति की जरूरत कम हो जाती। ऐसा होने से ये बहुत ज्यादा दुखी भी हुआ था।
इसके साथ बहुत बार ऐसा हुआ था। फिर एक दिन इसने एक जगह लिखा हुआ देखा,
बिल्ली के पीछे भागोगे तो वो और दूर भागेगी परंतु अगर अपने पास उसके दूध का इंतजाम कर दोगे तो वो खुद तुम्हारे पास आएगी।
तब उसके दिमाग में एक बात बैठ गई की, लोगों को प्रभावित करना बंद करके अपने काम से लोगों को चौंकना बहुत जरूरी है।
अब ये आदमी Engineering से था। इसने सब कुछ छोड़ा ओर लग गया अपने काम पर। नए ऑफिस में भी उसे कुछ ही दिनों में उपर का ओदा मिल गया था। और बाकी लोग अब भी वो ही काम कर रहे थे, वो वैसे ही जी रहे थे , जैसे ये आदमी पहले जी रहा था। यानी बॉस को या दूसरों को प्रभावित करने में लगे थे।
तो कहानी का ये ही उद्देश्य था कि पहले अपने सपनो को तब्जो देना शुरू करो। बाकी तो सब खुद होता जाएगा।
बेकार की बातों में वक्त जाया न करें।
इसको बाद आपको बिल्कुल भी बातचीत करना पसंद नहीं होगा। मतलब की मुझे लगता है कि गप्पे लड़ाना नासमझ लोगों का काम है। वो सिर्फ दूसरों को नीचा दिखाते है और उनमें कमियां निकालते है। जबकि समझदार लोग अपने सपनो पे विचार करते है और प्लान बनाते है। परन्तु किसी की कमियों को 10 लोगों में सुनाते नहीं है। तो ये बिंदु खुद में शामिल करना थोड़ा जरूरी है।
अपने काम से और खुद से प्यार करो।
इसके बाद आपको लोगों का ध्यान नहीं चाहिए होता है। मतलब वैसे ही आप लोगों के पीछे भागोगे तो वो आपसे और दूर जाएंगे। जबकि आपको खुद से प्यार होना चाहिए। तो आप ऐसे बन जाते हो जिन्हें दूसरों से फर्क नहीं पड़ता। आपके साथ 5 आदमी है या 500 परंतु आपको वो पसंद है, जो आप है। आप अपने काम को प्यार करते हो। ओर अपने काम से ही जाने जाते हो।
भावनाओं को काबू में रखें।
इस से आपको अपनी भावनाओं को काबू करना बहुत अच्छे से आता है। आप आपनी भावना को अपने हाथो मे रखते हो। अब देखो यार अगर आप किसी को बहुत ज्यादा ये बोलोगे की यार में तो आपके बिना रह ही नहीं सकता। सामने वाला फिर भी आपकी कीमत नहीं समझ रहा और आप फिर भी उसे मेसज, कॉल किए जा रहे हो तो इसमें नुकसान किसका है । जाहिर है आपका इस चीज में काफी बड़ा नुकसान है। क्योंकि आप अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पा रहे और जबदस्ती किसी रिश्ते को पकड़ने कि कोशिश कर रहे हो। जबकि रिश्ता निभाने की चीज है पकड़ने की नहीं।
अपने बारे में अच्छा महसूस करना आपको दूसरों के लिए अधिक आकर्षक बनाता है। और जैसे ही आप अपने आप को प्यार करता हो, आपका जीवन और रिश्ते आसान और अधिक सहज हो जाते हैं ।आप अपना समय ये अनुमान लगाते हुए खर्च नहीं करते हो कि दूसरे आपके बारे में क्या सोच रहे हैं।
बेशक, हम किसी के लिए शारीरिक रूप से आकर्षित हो सकते हैं, लेकिन हम उनके आत्मविश्वास, जुनून और व्यक्तित्व के प्रति अधिक आकर्षित होते हैं। आकर्षक होना सिर्फ दिखावे से ज्यादा है और वो कुछ भी हो सकता है आप कुछ लोगों के साथ
काम करने के लिए आकर्षित हो सकते हो।
– दोस्ती के लिए आकर्षित किया।
– विचारों से आकर्षित हो सकते हो।
– कॉफी की दुकानों के लिए आकर्षित हो सकते हो, क्योंकि हम उनके वाइब, उनके मेनू या उनके स्थान को पसंद करते हैं
आकर्षण एक अनिवार्य हिस्सा है। सकारात्मक रहें सजग रहें।