स्लीवलेस
“स्लीवलेस” एक आपबीती दीपा गोमी की डायरी से। आज भी पहन कर बाहर निकलने में बड़ी हिम्मत जुटानी पड़ी। दिल धाड धाड हो रहा था।
An Online Journal
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“स्लीवलेस” एक आपबीती दीपा गोमी की डायरी से। आज भी पहन कर बाहर निकलने में बड़ी हिम्मत जुटानी पड़ी। दिल धाड धाड हो रहा था।
“नारी की व्यथा” एक कविता दीपा गोमी की डायरी से। देहदान का निश्चय भी आज मन में ठहर गया,अपनी इच्छा का सम्मान फिर से जैसे ढह गया।
“मेरा जन्मदिन” दीपा गोमी की डायरी से। बेटे ने उठाकर विश किया। मन को तसल्ली सी मिली, चलो दिखावा ही सही, पर विश तो किया। सुबह उठी भी नहीं थी, कि गुड़िया की कॉल ने जगा दिया।
“उठ खड़ी है फिर से” एक व्यथा दीपा गोमी द्वारा रचित। टूटी वह भी है ,कौन जानता है। बिखरी कितनी दफा, उसका मन पहचानता है।