भारत माता के सपूत
रोहताश वर्मा ‘मुसाफिर’ द्वारा रचित कविता “भारत माता के सपूत”, समर्पित है जिन्होंने भारत माता की आजादी के लिए स्वयं को न्यौछावर किया था। Thriving Boost
An Online Journal
An Online Journal
यहां आपको देशप्रेम से संबंधित कविताएँ, स्वतंत्रता दिवस कविताएँ, सेना दिवस कविताएं, झंडा दिवस कविताएँ, देशभक्ति गीत, एक सैनिक की प्रार्थना और सामान्य देशभक्ति कविताएँ मिलेंगी।
रोहताश वर्मा ‘मुसाफिर’ द्वारा रचित कविता “भारत माता के सपूत”, समर्पित है जिन्होंने भारत माता की आजादी के लिए स्वयं को न्यौछावर किया था। Thriving Boost
“गौरा और बादल” ये दोनों इतने पराक्रमी थे कि दुश्मन उनके नाम से ही कांपते थे। एक बार में ही शाही सेना पति चीर दिया था। जफ़र मोहम्मद को केवल धड़ ने निर्जीव किया था।।
“सुनील कुमार” द्वारा रचित कविता ‘खंडित कभी न हो हिंद की अखंडता। दिल में था बस एक ही अरमान। मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम’।।
रौशन कुमार ‘प्रिय’ द्वारा रचित कविता “संस्कृति – देश की पहचान”, तुम लड़ते हो भाई- भाई में उसने दुश्मन को सम्मान दिया।