मोहब्बत
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी” द्वारा रचित कविता “मोहब्बत”, बिखर कर खुद में, खुद को ही ढूंढ रहे हैं।ख्वाबों में उस मंजर को हम भी ढूंढ रहे हैं।।
An Online Journal
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प्रेम रस की कविताएं
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी” द्वारा रचित कविता “मोहब्बत”, बिखर कर खुद में, खुद को ही ढूंढ रहे हैं।ख्वाबों में उस मंजर को हम भी ढूंढ रहे हैं।।
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी” द्वारा रचित कविता “दीवानगी”, बनाई थी मैंने जो, उजड़ गया वह ठिकाना सारा। अब किसके दर जाए यह बेचारा दीवाना प्यारा।।
रौशन कुमार ‘प्रिय’ द्वारा रचित कविता “हंसी के तराने”, यूँ न खड़ी किया करो शक की दीवारेंगलतफहमियां दूर करने के बहाने बहुत हैं।
रौशन कुमार ‘प्रिय’ द्वारा रचित कविता “कर्म हैं सबके “, कौन कहता है,ये उल्फतों की दुनिया बड़ी दर्द भरी है,सुन के कांटो में गुलाब खिलखिलाने लगे।
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “प्रेम”,जी भर ना दीदार हुआ हैबेशक उसका मुद्दत से।लेकिन उसको चाहा है,मैने बड़ी ही शिद्दत से।।