“तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप”
रौशन कुमार ‘प्रिय’ द्वारा रचित कविता “तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप”, ख्वाहिश हो हर तेरी पूरी। मगर समझना तू भी मज़बूरी
An Online Journal
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नारी पर आधारित कविताएं
रौशन कुमार ‘प्रिय’ द्वारा रचित कविता “तू बहन नहीं ! देवी स्वरूप”, ख्वाहिश हो हर तेरी पूरी। मगर समझना तू भी मज़बूरी
“नारी की व्यथा” एक कविता दीपा गोमी की डायरी से। देहदान का निश्चय भी आज मन में ठहर गया,अपनी इच्छा का सम्मान फिर से जैसे ढह गया।
“उठ खड़ी है फिर से” एक व्यथा दीपा गोमी द्वारा रचित। टूटी वह भी है ,कौन जानता है। बिखरी कितनी दफा, उसका मन पहचानता है।
“मीनाक्षी कौर” द्वारा रचित कविता “हौसला बेमिसाल रखती हूँ “, बचा कुछ नहीं ,सब टूटा-टूटा बिखरा है फिर भी न जाने क्यों,उसे दिल से लगाए रखती हूँ।
“मीनाक्षी कौर” द्वारा रचित कविता “मैं तुम्हारी पत्नी हूँ”, मेरी ही तरह ,मेरी आवाज के नीचे, तुम्हारी अवाज दब जाएगी पर क्या फायदा।।
“मीनाक्षी कौर” द्वारा रचित कविता “अरे बात को समझिये”,जिसकी बोलती रहे बंद ,जी हजूरी करे, ऐसी बिना सींघ वाली गाय होनी चाहिए।
“प्रिया गुप्ता” द्वारा रचित कविता “नारी तुम शक्ति हो”,तुम ग्रंथ हो तुम ही कथा हो, नारी तुम ही अपनी व्यथा हो।।