Month August 2022

हिन्दी कविता

हौसला बेमिसाल रखती हूँ

"मीनाक्षी कौर" द्वारा रचित कविता "हौसला बेमिसाल रखती हूँ ", बचा कुछ नहीं ,सब टूटा-टूटा बिखरा है फिर भी न जाने क्यों,उसे दिल से लगाए रखती हूँ।

मैं तुम्हारी पत्नी हूँ

"मीनाक्षी कौर" द्वारा रचित कविता "मैं तुम्हारी पत्नी हूँ", मेरी ही तरह ,मेरी आवाज के नीचे, तुम्हारी अवाज दब जाएगी पर क्या फायदा।।
हिन्दी कविता

मसला कुछ भी नहीं हमारे दरमियान 

"मीनाक्षी कौर" द्वारा रचित कविता "मसला कुछ भी नहीं हमारे दरमियान ",आज हालात इतने बिगड़े है   कि घर को घर नहीं, मैदाने जंग बना रखा है 
हिन्दी की बेहतरीन कविताएं

अरे बात को समझिये

"मीनाक्षी कौर" द्वारा रचित कविता "अरे बात को समझिये",जिसकी बोलती रहे बंद ,जी हजूरी करे, ऐसी बिना सींघ वाली गाय होनी चाहिए।