चिट्ठी का जमाना
वो चिट्ठी का जमाना लोगों को खूब भाता था, लिख देते थे खत अपनों को, जब जब याद आता था।
अब देख कर एक दूसरे का स्टेटस बर्थडे विश करते हैं लोग, पहले घड़ी साथ नहीं था मगर वक्त रखते थे लोग।
ना अपनों की याद ना अपनापन बचा है अब,
खुश हो जाता था पूरा परिवार जब किसी का खत आता था, चंद लाइनें लिखी थी उसमें, उसी में परिवार आनंदित हो जाता था।
वह चिट्टियां कभी सुख, कभी दुख, कभी वियोग, कभी संयोग सब के दर्शन कराती थी। कितनी भी हो मीलों दूरियां, दिलों को दिलों के करीब लाती थी।
जब वह कागज की चिट्ठी पास आती थी, वह चिट्ठी दिलों को करीब लाती थी।