शहीद दिवस, 23 मार्च

23 मार्च
भारत में शहीद दिवस मुख्य रूप से वर्ष में दो बार मनाया जाता है। वास्तव में हम 5 शहीद दिवस मनाते हैं। आज हम 23 मार्च के बारे में बात करने जा रहे हैं।

23 मार्च

23 मार्च को उस दिन के रूप में याद किया जाता है जब भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर नाम के तीन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। इस दिन हम उन्हे याद करते है। जिन्होंने हमारे लिए और हमारी स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया।

तीन नायक, जिन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज उन तीन महान क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद दिवस मनाया जाता है।

फांसी की बजह

1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या करने के लिए उन्हें फांसी दि गयी थी। जिन्हे जेम्स स्कॉट  समझ कर की गलती से मार दिया गया। जेम्स स्कॉट को इसलिए मारना था क्योंकि वह स्कॉट ही था जिसने लाठीचार्ज का आदेश दिया था।  जिसके कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई थी। ये तीनों उन अमर शहीदों में से थे जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और वो भी तब, जब वे बहुत छोटे थे। वे अनगिनत युवाओं को प्रेरित करते हैं। उनकी मृत्यु ने  एक मिसाल कायम की। ऐसा करने के लिए, उन्होंने आजादी के लिए अपना रास्ता खुद बनाया था।  जहां व्यक्तिगत वीरता और राष्ट्र के लिए कुछ करने के जज्बे की जरूरत थी।

इसमें कोई संदेह नहीं है, उन्होंने हमारे राष्ट्र के कल्याण के लिए अपने जीवन का बलिदान किया है।  चाहे उन्होंने महात्मा गांधी से अलग रास्ता चुना हो। वे भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इतनी कम उम्र में, वे आगे आए और स्वतंत्रता के लिए उन्होंने बहादुरी के साथ संघर्ष किया।

गिरफ्तारी की बजह

भगत सिंह ने गिरफ्तारी लाहौर जनरल असेंबली में बम्ब फ़ैकने पर दी थी।  लेकिन जॉन सॉन्डर्स मामले के साथ उनके संबंध को भी प्रकाश में लाया।

पुलिस द्वारा लाहौर और सहारनपुर में बम फैक्ट्री स्थित करने के जुर्म में सुखदेव को गिरफ्तार किया गया।

हालांकि सुखदेव और सिंह को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया था।  लेकिन पुलिस ने कई बिंदुओं को जोड़ा और भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सॉन्डर्स की हत्या के लिए आरोपित किया और उन्हें मौत की सजा सुनाई। इस मामले को बाद से ये केस “लाहौर षड्यंत्र” केस के नाम से जाना गया।

फांसी का दिन

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च को फांसी दी जाने वाली थी।  लेकिन एक दिन पहले 23 मार्च को शाम 7:30 बजे उन्हें फांसी दे दी गई।

हर साल हम शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं और उनके लिए अपना सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं।  हम उन वीरों के साहस और उनके दृढ़ संकल्प को याद करते हैं और उन्हे बारम्बार प्रणाम करते है।

अन्य शहीद दिवस

  • 30 जनवरी: जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। उन्हे 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी।
  • 13 जुलाई: जम्मू-कश्मीर में 22 लोगों की मौत को याद करने के लिए इसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 13 जुलाई, 1931 को, कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के निकट प्रदर्शन करते हुए शाही सैनिकों द्वारा लोगों की हत्या कर दी गई थी।
  • 17 नवंबर: इस दिन को ओडिशा में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसे लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने ब्रिटिश प्रभुत्व से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • 19 नवंबर: इस दिन को झांसी में शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 19 नवंबर को रानी लक्ष्मी बाई का जन्म हुआ था। उसने 1857 के विद्रोह के दौरान अपने जीवन का बलिदान भी दिया।

जिसे सींचा लहू से है, वो यूँ ही खो नहीं सकती।
सियासत चाह कर विष बीज हरगिज बो नहीं सकती।
वतन के नाम पर जीना, वतन के नाम पर मर जाना। 
शहादत से बड़ी कोई, इबादत हो नहीं सकती।। 

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