वीर सपूतों को शत्-शत् प्रणाम

"सुनील कुमार" द्वारा रचित कविता 'खंडित कभी न हो हिंद की अखंडता। दिल में था बस एक ही अरमान। मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम'।।

हंसते-हंसते देश हित हो गए जो कुर्बान। मां भारती के वीर सपूतों को शत्-शत् प्रणाम।।

वीर सपूतों को शत्-शत् प्रणाम

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हंसते-हंसते देश हित हो गए जो कुर्बान।

मां भारती के वीर सपूतों को शत्-शत् प्रणाम।।

लगा जान की बाजी रखा देश का मान।

मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम।।

प्राणों की दे आहुति कर गए ये ऐलान।

प्राण जाए तो जाए न जाने देंगे देश की शान।।

मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम।।

देश की आन के खातिर कर गये सब कुर्बान।

हम एक थे एक हैं एक रहेंगे दे गए ये पैगाम।

मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम।।

खंडित कभी न हो हिंद की अखंडता।

दिल में था बस एक ही अरमान।

मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम।।

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सुनील कुमार
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