क्या फर्क पड़ता है, अरे बात को समझिये
पढ़ी लिखी सूंदर ,संस्कारी होनी चाहिए, नौकरी करती हो तो ओर भी अच्छा है। पर घर भी संभाल सके ! ऐसी बहु और घरवाली होनी चाहिए।
जिसकी बोलती रहे बंद ,जी हजूरी करे, ऐसी बिना सींघ वाली गाय होनी चाहिए।
भाई,बेटे ,लड़के में कोई भी कमी हो दहेज़ की रकम मोटी,और लड़की खानदानी होनी चाहिए।
हमारा परिवार उसे खुश,और अच्छे से रखे न रखे क्या फर्क पड़ता है। अरे बात को समझिये!
दूसरे की लड़की है,अपनी खुद की औलाद थोड़ी हमे और हमारे ४ रिश्तेदारों को खुश रखे लड़की ऐसी हसमुख,हँसाने,निभाने वाली होनी चाहिए।
घर का सारा काम-काज आता हो, वैसे तो नहीं,पर मान लो कभी गुस्से मे, २,४ गाली,थप्पड़ ,ताने दे भी दिये, तो बर्दाश कर जाए,इस हद तक सीधी,सरल चुपचाप रहने वाली होनी चाहिए।
सबका तो नहीं पता पर हा,ये कड़वी,कठोर सच्चाई है कि कुछ परिवारों में आज भी दूसरे कि लड़की अपने घर बहु बीवी भाभी,बेटी बनकर नहीं सिर्फ फ्री की कामवाली बाई कि तरह आनी चाहिए
मीनाक्षी कौर (नीलतारा)
✍मीनाक्षी कौर “नीलतारा”
लखनऊ