मातृ छवि!

“अजय विषकर्मा” द्वारा रचित ‘कविता’ “मातृ छवि” भविष्यरुपी रेलवे के लिए टी.सी बहुत मिले हैं । संयमी कुशाग्रबुद्धि चालक आप जैसी कोई नहीं  ।।