ढूंढ़ रहा हूं अपना  गांव

रौशन कुमार ‘प्रिय’ द्वारा रचित कविता “ढूंढ़ रहा हूं अपना  गांव”, रहा नहीं  वो  बाग- बगीचा रहा नहीं  कुआं -तालाब।