23 मार्च शहीद दिवस 2021 के उपलक्ष्य में मीनाक्षी कौर द्वारा रचित बहुत शानदार कविता “कोई चाँद तो कोई तारा होगा” । आपका दिल जीत लेगी।
23 मार्च शहीद दिवस 2021 के उपलक्ष्य में मीनाक्षी कौर द्वारा रचित बहुत शानदार हिंदी कविता “कोई चाँद तो कोई तारा होगा” । आपका दिल जीत लेगी।
कोई चांद तो कोई तारा होगा
उनको भी बड़े नज़ो से पाला होगा। अपनी-अपनी माँ की आंखो का, कोई चांद तो कोई तारा होगा। छोटे-छोटे नन्हे पांव से चलकर, जब वो दूर तक घर की गलियो में, भागा होगा। गिर ना जाये इस डर से, कई बार उन माँ-ओ ने भी, गोदी तक से। उनको यू भी, ना उतारा होगा। देखे होगे उन बूढ़े-माँ बाप ने भी, कई सपने, अपने राज दुलारो के लिये उनको क्या मालूम था, की वो आजादी का , क्रांती का देश-भगती का एक उगता,चमकता सितार होगा। जिसकी कुर्बानी को याद करेगी दुनिया ता-उमर, वो शहीद वीर जवानो का काफिला सुखदेव,भगत सिंह,राजगुरु का होगा।
शाहिद दिवस के उपलक्ष्य पर मीनू गोयल की ये पंक्तियां आपको अंदर तक हिला देंगी। हम क्या से क्या हो गए हमे बता देंगी।
एक बहुत छोटा सा नन्हा सा शब्द ही तो है
पर प्रभाव ,भूमिका, तत्परता, देशभक्ति, शौर्य, त्याग
की पराकाष्ठा से ओतप्रोत है।
जब छोटी थी ,शहीद का नाम हो और भगत सिंह
का नाम याद ना आया हो यह कभी नहीं हुआ।
एक पुलक सी, सिहरन सी रगों में दौड़ जाती थी
जब देशभक्ति के दीवानों की कहानी सुनाई जाती थी।
आज के परिप्रेक्ष्य में और नई पीढ़ी के विचारों की बात की जाए तो उनकी नजर में शहीद एक सामान्य सा शब्द होकर रह गया है। उन्हें लगता है शहादत कोई भी दे सकता है, कितनी गलत सोच और भावनाएं हैं पर इन सब के लिए कहीं ना कहीं हम सब ही तो दोषी हैं। संयुक्त परिवार टूटे परंपराएं टूटी देश प्रेम की कहानी छूट गई धर्म और देश अभिमान बस कथाओं और इतिहास में छिप कर रह गया
कहीं कोई आंदोलन हो रहा, कहीं जाम लग रहे, कुछ भी गलत हो रहा और वहां कोई किसी भी कारण से अगर मृत्यु को प्राप्त कर लेता है तो “शहीद हो गया” की हेड लाइन के साथ अखबार की सुर्खियां छ्प जाती हैं कोई फर्क नहीं पड़ता
अभी शहीद शब्द को पढ़कर ना अश्रु धारा ना संताप
ना पूजा ही फड़कती है ना श्रद्धांजलि दी जाती है
शहीद एक शब्द ही तो नहीं है, भगत सिंह और
उनके साथियों की कुर्बानी है।
हर भारतवासी की सीने में जलती आजादी की चिंगारी है।
अभिभूत हो जाती हूं मैं जब इनकी वीरता और देशभक्ति के जज्बे से भरी इनकी जीवनी पढ़ती हूं। सारे सुखचैन, घर परिवार, रिश्ते- नाते किसी भी सांसारिक सुख से जो नहीं भरमाए l बस भारत माता और स्वतंत्रता जिनका सिरमोर थी ।धन्य है वे शहीद और उनकी शहादत।
अंत में इतना ही कहूंगी,
जन -जन के मानस में क्रांति की मशाल जलाने वाले थे,
कैसे भूलू उनकी शहादत
वह मेरे देश की शान के रखवाले थे।
इंकलाब जिन्दाबाद।