क्या लिखूँ ? कुछ याद नहीं
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “कुछ याद नहीं”, जीवन परीक्षा शुरू हो गयी, मै लिखने में अभी दक्ष नहीं। काँपी राइट जो कर सकूँ, ऐसा मिला है मुझको कक्ष नहीं
An Online Journal
An Online Journal
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “कुछ याद नहीं”, जीवन परीक्षा शुरू हो गयी, मै लिखने में अभी दक्ष नहीं। काँपी राइट जो कर सकूँ, ऐसा मिला है मुझको कक्ष नहीं
निर्दोषकुमार “विन” द्वारा रचित कविता “अहंकार”, सहज सरल मधुर वाणी का,रखता है जो चाव।कभी ना उपजे उसके हृदय,अहंकार का भाव।।
जतीन चारण द्वारा रचित कविता “हर बेटी की पुकार”, इस हद तक चला जाएगा इंसान। भगवान ने भी नहीं सोचा था। इतना बुरी तरह से गिर जाएगा इंसान,
यह कहानी भारतीय सेना के उस जवान की है, जिन्होंने अकेले ही चीनी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वह एक अज्ञात नायक है जिन्होंने चीनी सेना के खिलाफ दो रातों तक अकेले लड़ाई करते रहे। आज जिन्हे कुछ लोग जानते हैं और कुछ नहीं। ये कहानी है निस्वार्थ देशसेवा की और वीरता की।