टीम Thriving Boost 2021 मे बहुत सारी प्रतियोगिताओं का आयोजन करने जा रही है। ये एक पहल है हमारे साथियों के अंदर छिपे जज्बे को बाहर लाने की। भविष्य मे हम ऐसी बहुत सारी प्रतियोगिताओं का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर करवाएंगे। जिससे हम अपने सभी साथियों को आगे आने का और हमारे साथ जुडने का मौका देंगे। ये काम हम जमीनी स्तर पे करेंगे जिससे समाज के उन सभी वर्गों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले, जिन्हे किसी भी मंच तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल होता है।
हम आप सब से विनम्र निवेदन करते है कि, हमारा इस मुहिम मे साथ दें, इन प्रतियोगिताओं के बारे मे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अवगत करवाएं। आपकी सफलता हमारी सफलता है, हम सब की सफलता है, भारत बर्ष की सफलता है।
नीचे दिए गए कलेंडर मे आपको 2021 मे होने वाली सभी प्रतियोगिताओं की जानकारी मिल जाएगी।
23 मार्च शहीद दिवस 2021 के उपलक्ष्य में मीनाक्षी कौर द्वारा रचित बहुत शानदार कविता “कोई चाँद तो कोई तारा होगा” । आपका दिल जीत लेगी।
23 मार्च शहीद दिवस 2021 के उपलक्ष्य में मीनाक्षी कौर द्वारा रचित बहुत शानदार हिंदी कविता “कोई चाँद तो कोई तारा होगा” । आपका दिल जीत लेगी।
कोई चांद तो कोई तारा होगा
उनको भी बड़े नज़ो से पाला होगा। अपनी-अपनी माँ की आंखो का, कोई चांद तो कोई तारा होगा। छोटे-छोटे नन्हे पांव से चलकर, जब वो दूर तक घर की गलियो में, भागा होगा। गिर ना जाये इस डर से, कई बार उन माँ-ओ ने भी, गोदी तक से। उनको यू भी, ना उतारा होगा। देखे होगे उन बूढ़े-माँ बाप ने भी, कई सपने, अपने राज दुलारो के लिये उनको क्या मालूम था, की वो आजादी का , क्रांती का देश-भगती का एक उगता,चमकता सितार होगा। जिसकी कुर्बानी को याद करेगी दुनिया ता-उमर, वो शहीद वीर जवानो का काफिला सुखदेव,भगत सिंह,राजगुरु का होगा।
शाहिद दिवस के उपलक्ष्य पर मीनू गोयल की ये पंक्तियां आपको अंदर तक हिला देंगी। हम क्या से क्या हो गए हमे बता देंगी।
एक बहुत छोटा सा नन्हा सा शब्द ही तो है
पर प्रभाव ,भूमिका, तत्परता, देशभक्ति, शौर्य, त्याग
की पराकाष्ठा से ओतप्रोत है।
जब छोटी थी ,शहीद का नाम हो और भगत सिंह
का नाम याद ना आया हो यह कभी नहीं हुआ।
एक पुलक सी, सिहरन सी रगों में दौड़ जाती थी
जब देशभक्ति के दीवानों की कहानी सुनाई जाती थी।
आज के परिप्रेक्ष्य में और नई पीढ़ी के विचारों की बात की जाए तो उनकी नजर में शहीद एक सामान्य सा शब्द होकर रह गया है। उन्हें लगता है शहादत कोई भी दे सकता है, कितनी गलत सोच और भावनाएं हैं पर इन सब के लिए कहीं ना कहीं हम सब ही तो दोषी हैं। संयुक्त परिवार टूटे परंपराएं टूटी देश प्रेम की कहानी छूट गई धर्म और देश अभिमान बस कथाओं और इतिहास में छिप कर रह गया
कहीं कोई आंदोलन हो रहा, कहीं जाम लग रहे, कुछ भी गलत हो रहा और वहां कोई किसी भी कारण से अगर मृत्यु को प्राप्त कर लेता है तो “शहीद हो गया” की हेड लाइन के साथ अखबार की सुर्खियां छ्प जाती हैं कोई फर्क नहीं पड़ता
अभी शहीद शब्द को पढ़कर ना अश्रु धारा ना संताप
ना पूजा ही फड़कती है ना श्रद्धांजलि दी जाती है
शहीद एक शब्द ही तो नहीं है, भगत सिंह और
उनके साथियों की कुर्बानी है।
हर भारतवासी की सीने में जलती आजादी की चिंगारी है।
अभिभूत हो जाती हूं मैं जब इनकी वीरता और देशभक्ति के जज्बे से भरी इनकी जीवनी पढ़ती हूं। सारे सुखचैन, घर परिवार, रिश्ते- नाते किसी भी सांसारिक सुख से जो नहीं भरमाए l बस भारत माता और स्वतंत्रता जिनका सिरमोर थी ।धन्य है वे शहीद और उनकी शहादत।
अंत में इतना ही कहूंगी,
जन -जन के मानस में क्रांति की मशाल जलाने वाले थे,
कैसे भूलू उनकी शहादत
वह मेरे देश की शान के रखवाले थे।
इंकलाब जिन्दाबाद।
तीन नायक, जिन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज उन तीन महान क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद दिवस मनाया जाता है।
भारत में शहीद दिवस मुख्य रूप से वर्ष में दो बार मनाया जाता है। वास्तव में हम 5 शहीद दिवस मनाते हैं। आज हम 23 मार्च के बारे में बात करने जा रहे हैं।
23 मार्च
23 मार्च को उस दिन के रूप में याद किया जाता है, जब भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर तीन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। इस दिन हम उन्हे याद करते है। जिन्होंने हमारे लिए और हमारी स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया।
तीन नायक, जिन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज उन तीन महान क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद दिवस मनाया जाता है।
फांसी की बजह
1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या करने के लिए उन्हें फांसी दि गयी थी। जिन्हे जेम्स स्कॉट समझ कर की गलती से मार दिया गया। जेम्स स्कॉट को इसलिए मारना था, क्योंकि वह स्कॉट ही था। जिसने लाठीचार्ज का आदेश दिया था। जिसके कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई थी। ये तीनों उन अमर शहीदों में से थे जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और वो भी तब, जब वे बहुत छोटे थे। वे अनगिनत युवाओं को प्रेरित करते हैं। उनकी मृत्यु ने एक मिसाल कायम की। ऐसा करने के लिए, उन्होंने आजादी के लिए अपना रास्ता खुद बनाया था। जिस रास्ते पर व्यक्तिगत वीरता और राष्ट्र के लिए कुछ करने के जज्बे की बहुत ज्यादा जरूरत थी।
इसमें कोई संदेह नहीं है, उन्होंने हमारे राष्ट्र के कल्याण के लिए अपने जीवन का बलिदान किया है। चाहे उन्होंने महात्मा गांधी से अलग रास्ता चुना हो। वे भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इतनी कम उम्र में, वे आगे आए और स्वतंत्रता के लिए उन्होंने बहादुरी के साथ संघर्ष किया।
उन्हे कैसे गिरफ्तार किया?
भगत सिंह ने गिरफ्तारी लाहौर जनरल असेंबली में बम्ब फ़ैकने पर दी थी। लेकिन जॉन सॉन्डर्स मामले के साथ उनके संबंध को भी प्रकाश में लाया गया।
सुखदेव को पुलिस द्वारा लाहौर और सहारनपुर में बम फैक्ट्री स्थित करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया।
हालांकि सुखदेव और भगत सिंह को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन पुलिस ने कई बिंदुओं को जोड़ा और भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सॉन्डर्स की हत्या के लिए आरोपित किया और उन्हें मौत की सजा सुनाई। इस मामले को बाद से ये केस “लाहौर षड्यंत्र” केस के नाम से जाना गया।
23 मार्च को फांसी
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च को फांसी दी जाने वाली थी, लेकिन एक दिन पहले 23 मार्च को शाम 7:30 बजे उन्हें फांसी दे दी गई।
हर साल हम शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं और उनके लिए अपना सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं। हम उन वीरों के साहस और उनके दृढ़ संकल्प को याद करते हैं और उन्हे बारम्बार प्रणाम करते है।
अन्य शहीद दिवस
30 जनवरी: जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। उन्हे 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी।
13 जुलाई: जम्मू-कश्मीर में 22 लोगों की मौत को याद करने के लिए इसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 13 जुलाई, 1931 को, कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के निकट प्रदर्शन करते हुए शाही सैनिकों द्वारा लोगों की हत्या कर दी गई थी।
17 नवंबर: इस दिन को ओडिशा में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसे लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने ब्रिटिश प्रभुत्व से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
19 नवंबर: इस दिन को झांसी में शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 19 नवंबर को रानी लक्ष्मी बाई का जन्म हुआ था। जिन्होंने 1857 के विद्रोह के दौरान अपने जीवन का बलिदान भी दिया था।
हिन्द के शहीद सुरेश जाट द्वारा रचित कविता शहीद दिवस के उपलक्ष पर “हिन्द के शहीद” देश प्रेम से ओतप्रोत ये कविता आपको भावुक कर देगी और आप मे जोश भर देगी।
हिन्द के शहीद सुरेश जाट द्वारा रचित कविता “हिन्द के शहीद” देश प्रेम से ओतप्रोत ये कविता आपको भावुक कर देगी और आप मे जोश भर देगी।
हिंद के शहीद
शहादत की लिखी अजब कहानी थी,
मर मिटने को आतुर गजब जवानी थी।
जलियांवाले से दिल दहल उठा, लालाजी की मृत्यु पर युवा आक्रोश बढ़ा।
तूफान रक्त में वीरों के अंतर्मन ज्वार उठा, भगत सिंह सुखदेव राजगुरु से ब्रिटिश हुकूमत में हाहाकार उठा।
किंचित नहीं भयभीत हुए-
मातृभूमि प्राणों से प्यारी थी, जोश भरी कुर्बानी न्यारी थी।
खाकर कसम निकले थे घर से-
इंकलाब का बिगुल बजाकर, बहरों को गूंज सुनाएंगे।
देकर लहू हिंद वतन को, इंकलाब की आंधी लाएंगे।
कर्ज चुका कर जन्मभूमि का, हंसकर मौत गले लगाएंगे।
मरकर भी हर दिल में जिन्दा होंगे , आजाद वतन हम लाएंगे।
सौगंध जननी को आंसू नहीं बहायेगी , इस माटी में सैकड़ों भगत सिंह बन जाएंगे।
रंग दे बसंती गाकर मस्त हुई जवानी थी, शहादत वीरों की सुनकर युवा पीढ़ी हुयी दीवानी थी।
पहन बसंती चोला शहादत को झूम उठे, हिंदुस्तानी कंठ से इंकलाब के नारे गूंज उठे।
बोकर बीज राष्ट्रप्रेम के हिंद सितारे अस्त हुए, प्रेरणा से अंकुरित देशभक्त बसंती चोला पहन मस्त हुए।
फौजी का पैगाम अंकित राही द्वारा रचित कविता शहीद दिवस के उपलक्ष पर। एकदम न कहना घरवालों से, देश प्रेम से ओतप्रोत ये कविता आपको भावुक कर देगी।
फौजी का पैगाम
एकदम न कहना घरवालों से
उलझाए रखना उनको सवालों से
एकदम न कहना घरवालों से
उलझाए रखना उनको सवालों से
लौट के वो आएगा शहीद वो कहलाएगा
न बुझाओ तुम पहेली
सच बताओ क्या मेरे लाल ने गोली है झेली
मैं हाल हाल-ए-दिल बतलाऊंगा
तिरंगे में लिपटा आपका लाल आएगा
धीरज रखो पापा जी शहीद वो कहलाएगा
मैं तो धीरज रखू पर मेरी पत्नी को कौन सहलाएगा
बहू का सिंदूर कौन लाएगा
बेटी का वीर कहां से आएगा
ए मेरे देश यह सिलसिला कब तक यूं ही नजर आएगा
धीरज रखो पापा जी शहीद वो कहलाएगा
कवि अंकित राही
शहीद दिवस के उपलक्ष पर अंकित राही द्वारा रचित कविता “फौजी का पैगाम” देश प्रेम से ओतप्रोत ये कविता आपको भावुक कर देगी। comment करके हमें जरूर बताएं की आपको कविता कैसी लगी और हमारे कवि साथियों का मनोबल बढ़ाते रहें।