✧༺मानवता༻✧

जतीन चारण द्वारा रचित कविता “मानवता”, भगवान ने इंसान को नहीं, इंसान ने भगवान को बनाया। अगर भगवान बनाता तो सिर्फ कर्म ही होता। यह जाति और यह धर्म न होता।