हंसी के तराने बहुत हैं

रौशन कुमार ‘प्रिय’ द्वारा रचित कविता “हंसी के तराने”, यूँ न खड़ी किया करो शक की दीवारेंगलतफहमियां दूर करने के बहाने बहुत हैं।