वीर सावरकर

कालापानी की सजा इतनी ज्यादा भयानक थी कि उन्हें आत्महत्या के ख्याल आते। वीर सावरकर कालापानी में कैदियों को समझाते थे कि धीरज रखो, एक दिन आएगा जब ये जगह तीर्थस्थल बन जाएगी। वो एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, लेखक और राजनीतिक विचारक थे।